भारत में कैंसर के बढ़ते मामले: चुनौतियां और नई पहल

 

भारत में कैंसर के बढ़ते मामले: चुनौतियां और नई पहल

नई दिल्ली, 11 मई 2025

पिछले कुछ वर्षों में भारत में कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है, जिसने स्वास्थ्य विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और आम जनता को चिंतित कर दिया है। हाल ही में टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई के निदेशक डॉ. सुदीप गुप्ता ने एक साक्षात्कार में खुलासा किया कि भारत में हर पांच कैंसर रोगियों में से तीन की मृत्यु हो रही है। यह आंकड़ा न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत धीरे-धीरे "विश्व का कैंसर कैपिटल" बनता जा रहा है। इस स्थिति ने स्वास्थ्य मंत्रालय और विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों को इस बीमारी से निपटने के लिए नए और प्रभावी कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है।

कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे कारण

भारत में कैंसर के मामलों में वृद्धि के कई कारण हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, जीवनशैली में बदलाव, तंबाकू और शराब का बढ़ता सेवन, प्रदूषण, असंतुलित आहार, और तनाव इस बीमारी के प्रमुख कारक हैं। इसके अलावा, जागरूकता की कमी और समय पर निदान न हो पाने के कारण कई मरीजों का इलाज देर से शुरू होता है, जिससे उनकी स्थिति और गंभीर हो जाती है।

डॉ. गुप्ता के अनुसार, भारत में सबसे आम कैंसर में फेफड़े, मुंह, स्तन, और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर शामिल हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में तंबाकू चबाने की आदत और धूम्रपान के कारण मुंह और फेफड़ों का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, शहरी क्षेत्रों में स्तन और कोलोरेक्टल कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, जो मुख्य रूप से गतिहीन जीवनशैली और प्रोसेस्ड भोजन के सेवन से जुड़े हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय की नई पहल

कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत सरकार ने हाल ही में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने 9 मई 2025 को एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें देशभर की स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा की गई। इस बैठक में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के लिए बेहतर उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने "राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम" के तहत कई नई योजनाओं की घोषणा की है। इनमें शामिल हैं:

  1. प्रारंभिक निदान केंद्र: सरकार ने देशभर में 500 नए कैंसर स्क्रीनिंग केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है। ये केंद्र विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बनाए जाएंगे, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। इन केंद्रों में मुफ्त स्क्रीनिंग और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

  2. सस्ता इलाज: कैंसर के इलाज की लागत को कम करने के लिए सरकार ने जेनेरिक दवाओं और कीमोथेरेपी दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने का फैसला किया है। इसके अलावा, आयुष्मान भारत योजना के तहत कैंसर के मरीजों को मुफ्त या रियायती दरों पर इलाज उपलब्ध कराया जाएगा।

  3. जागरूकता अभियान: सरकार ने देशभर में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान शुरू करने की योजना बनाई है। इन अभियानों में तंबाकू और शराब के दुष्प्रभावों, स्वस्थ आहार, और नियमित व्यायाम के महत्व पर जोर दिया जाएगा।

  4. अनुसंधान और नवाचार: कैंसर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल और अन्य प्रमुख संस्थानों के साथ साझेदारी की है। इन संस्थानों को नए उपचार विधियों और दवाओं के विकास के लिए अतिरिक्त फंडिंग प्रदान की जाएगी।

निजी क्षेत्र की भूमिका

सरकारी प्रयासों के साथ-साथ निजी क्षेत्र भी कैंसर के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। कई गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) और निजी अस्पताल कैंसर के मरीजों के लिए मुफ्त या रियायती इलाज की सुविधा प्रदान कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, मुंबई का टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल न केवल कैंसर के उपचार में अग्रणी है, बल्कि यह मरीजों को मनोवैज्ञानिक सहायता और परामर्श भी प्रदान करता है।

इसके अलावा, कई कॉरपोरेट कंपनियां अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) कार्यक्रमों के तहत कैंसर जागरूकता और उपचार के लिए फंडिंग प्रदान कर रही हैं। हाल ही में एक प्रमुख टेक कंपनी ने कैंसर स्क्रीनिंग के लिए मोबाइल वैन शुरू की हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों की जांच करती हैं।

चुनौतियां और समाधान

हालांकि सरकार और निजी क्षेत्र के प्रयास सराहनीय हैं, फिर भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं। सबसे बड़ी चुनौती है ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी। कई गांवों में न तो अस्पताल हैं और न ही प्रशिक्षित डॉक्टर। इसके अलावा, कैंसर के इलाज की जटिलता और लंबी अवधि के कारण मरीज और उनके परिवार आर्थिक और भावनात्मक रूप से टूट जाते हैं।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए विशेषज्ञों ने कुछ सुझाव दिए हैं:

  • टेलीमेडिसिन का उपयोग: ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन सुविधाओं को बढ़ावा देकर मरीजों को विशेषज्ञों से जोड़ा जा सकता है। इससे समय पर निदान और उपचार संभव हो सकेगा।

  • स्वास्थ्य बीमा: कैंसर के इलाज को स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में शामिल करके मरीजों पर आर्थिक बोझ कम किया जा सकता है।

  • शिक्षा और प्रशिक्षण: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कैंसर स्क्रीनिंग और प्रारंभिक निदान के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।


मरीजों की कहानियां

कैंसर के खिलाफ इस लड़ाई में मरीजों की कहानियां प्रेरणा का स्रोत हैं। दिल्ली की 45 वर्षीय रमा देवी, जो पिछले दो साल से स्तन कैंसर से जूझ रही हैं, कहती हैं, "जब मुझे कैंसर का पता चला, तो मैं पूरी तरह टूट गई थी। लेकिन मेरे परिवार और डॉक्टरों के समर्थन ने मुझे हिम्मत दी। आज मैं कीमोथेरेपी के बाद सामान्य जीवन जी रही हूं।" रमा जैसी कई महिलाएं और पुरुष इस बीमारी से लड़ रहे हैं और समाज को यह संदेश दे रहे हैं कि सही समय पर इलाज और सकारात्मक दृष्टिकोण से कैंसर को हराया जा सकता है।

भविष्य की राह

भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सरकार, निजी क्षेत्र, और समाज को मिलकर काम करना होगा। जागरूकता, प्रारंभिक निदान, और सस्ता इलाज इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इसके साथ ही, स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना और पर्यावरण प्रदूषण को कम करना भी जरूरी है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन सभी कदमों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो अगले एक दशक में कैंसर के मामलों और इससे होने वाली मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यह न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।

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